पंडित जी का परिवार पीढ़ियों से उज्जैन में रहते हैं । पीढ़ियों से उज्जैन में वैदिक कार्यों से जुड़े हुए हैं, पीढ़ियों से यह परिवार कथा भागवत वैदिक धार्मिक अनुष्ठानों को करते आया है | कालसर्प दोष पूजा के अलावा पंडित जी ने संगीतमय श्रीमद भागवत कथा, नवग्रह शांति, मंगलभात पूजा, मंगलशांति पूजा, रुद्राभिषेक, ग्रह दोष निवारण, पितृ दोष निवारण केमद्रुम दोष , जैसे अनुष्ठानों को सम्पूर्ण वैदिक पद्धति द्वारा संपन्न किया है | इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तसती पाठ भी आवश्यकता के अनुसार करते हैं, पंडित जी कुम्भ विवाह, अर्क विवाह, जन्म कुंडली अध्ययन अवं पत्रिका मिलान में भी सिद्धस्त हैं, इन समस्त कार्यों के साथ-साथ पंडित जी पुत्रप्राप्ती के लिए विशेष पूजन किया जाता है तथा वास्तु पूजन, वास्तु दोष निवारण एवं व्यापार, व्यवसाय बाधा निवारण का पूजन भी सम्पूर्ण विधि विधान से करते हैं।
दोष निवारणार्थ अनुष्ठान, मंगल दोष निवारण (भातपूजन), सम्पूर्ण कालसर्प दोष निवारण, नवग्रह शांति, पितृदोष शांति पूजन, वास्तु दोष शांति, द्विविवाह योग शांति, नक्षत्र/योग शांति, रोग निवारण शांति, समस्त विध्न शांति, विवाह संबंधी विघ्न शांति, नवग्रह शांति, कामना पूर्ति अनुष्ठान, भूमि प्राप्ति, धन प्राप्ति, शत्रु विजय प्राप्ति, एश्वर्य प्राप्ति, शुभ (मनचाहा) वर/वधु प्राप्ति, शीघ्र विवाह, सर्व मनोकामना पूर्ति, व्यापार वृध्दि, रक्षा कवच, अन्य सिद्ध अनुष्ठान एवं पूज, पाठ, जाप एवं अन्य अनुष्ठान, दुर्गासप्तशती पाठ, श्री यन्त्र अनुष्ठान, नागवली/नारायण वली, कुम्भ/अर्क विवाह, गृह वास्तु पूजन, गृह प्रवेश पूजन, देव प्राण प्रतिष्ठा, रूद्रपाठ/रूद्राभिषेक, विवाह संस्कार, संगीतमय श्रीमद भागवत कथा
सभी प्रकार के पूजन, दोष निवारण एवं मांगलिक कार्य आपके घर, कार्यालय या अन्य स्थानों पर किये जाते हैं|
स्वयं से तथा परिवार से पूर्व जन्म में या इस जन्म में पितृ नाग तथा देव संबंधित अपराध हो जाने के कारण जन्म पत्रिका में ऐसा योग बनता है जिसे हम कालसर्प दोष कहते हैं
मंगल दोष निवारण भात पूजन द्वारा एक मात्र उज्जैन में ही भात पूजन कर मंगल शांति की जाती है।
यदि सूर्य या चंद्रमा के घर में राहु-केतु में से कोई एक ग्रह मौजूद हो तो यह ग्रहण दोष कहलाता है।
शादी-ब्याह में इसकी प्रमुखता देखि जा रही है पर इस दोष के बहुत सारे परिहार भी है
पितृदोष निवारण पूजा सभी प्रकार के पितृदोषों से मुक्ति मिल जाती है।
ज्योतिष में कई ऐसे योग होते हैं जिनका मनुष्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गुरू चांडाल योग बहुत ही अशुभ माना जाता है
रुद्राभिषेक करके आप शिव से मनचाहा वरदान पा सकते हैं. क्योंकि शिव के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है
नवग्रह नौ ब्रह्मांडीय वस्तुएं हैं और ऐसा कहा जाता है कि इनका मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
पंडित जी जो को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान की जानकारी पंडित जी तथा संस्कृत में एम. ए.( संस्कृत) व संगीतमय श्रीमद भागवत कथा गायन वाचन भी करते हैं के गुरुजनों तथा पिताजी द्वारा प्राप्त हुयी है,
पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं वधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा हो गया है।
आपके द्वारा पूछे गए कुछ प्रश्न
व्यक्ति के कर्म या उसके द्वारा किए गए कुछ पिछले कर्मों के परिणामस्वरूप कालसर्प योग दोष कुंडली में होना माना जाता है। इसके अलावा, यदि व्यक्ति ने अपने वर्तमान या पिछले जीवन में सांप को नुकसान पहुंचाया हो तो भी काल सर्प योग दोष की निर्मिति होती है।हमारे मृत पूर्वजों की आत्माए नाराज होने से भी यह दोष कुंडली में पाया जाता है। संस्कृत में काल सर्प दोष द्वारा कई सारे निहितार्थ सुझाए गए है। यह अक्सर कहा जाता है कि अगर काल सर्प दोष निवारण पूजा नहीं की गयी तो, संबंधित व्यक्ति के कार्य को प्रभावित करेगा और सबसे कठिन बना देगा। कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय स्थिति है जिसमें सभी ग्रह एक वृत्त बनाते हैं और राहु-केतु इस वृत्त के भीतर या बाहर स्थित होते हैं। यह स्थिति व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकती है। उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में काल सर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना गया है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होता है तो व्यक्ति को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुंडली में काल सर्प दोष होने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित होता है। इसलिए कालसर्प दोष की पूजा पूरे विधि विधान के साथ होना बेहद जरूरी है।
कालसर्प दोष के लक्षण: कुछ लोग या तो संतानहीन रह जाते हैं या फिर उनका संतान हमेशा रोगी रहता है. कालसर्प दोष होने पर नौकरी भी बार-बार छूटती रहती है और कई बार कर्ज भी लेना पड़ जाता है. कुंडली में काल सर्प योग तो ज्योतिष की सलाह से जल्द से जल्द इसका निवारण करना चाहिए. आइए जानते हैं क्या है कालसर्प दोष के लक्षण। 1) जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होते हैं इस व्यक्ति को अक्सर सपने में मृत लोग दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं कुछ लोगों को तो यह भी दिखाई देता है कि कोई उनका गला दबा रहा हो। 2) जिस व्यक्ति के जीवन में काल सर्प दोष होता है उसे जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है और जब उसको जरुरत होती है तब उसे अकेलापन महसूस होता है। 3) कालसर्प से पीड़ित व्यक्ति के कारोबार पर काफी नकारात्मक असर पड़ता है। इसे व्यापार में बार बार हानी का सामना करना पड़ता है। 4) इसके अलावा नींद में शरीर पर सांप को रेंगते देखना, सांप को खुद को डसते देखना। 5) बात-बात पर जीवनसाथी से वाद विवाद होना। यदि रात में बार बार आपकी नींद खुलती है तो यह भी काल सर्प दोष का ही लक्षण है। 6) इसके अलावा काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को सपने में बार-बार लड़ाई झगड़ा दिखाई देता है। 7) काल सर्प दोष के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होता है। साथ ही सिर दर्द, त्वचारोग आदि भी कालसर्प दोष के लक्षण है।
यदि रात में बार बार आपकी नींद खुलती है तो यह भी काल सर्प दोष का ही लक्षण है। 6) इसके अलावा काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को सपने में बार-बार लड़ाई झगड़ा दिखाई देता है। 7) काल सर्प दोष के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होता है। साथ ही सिर दर्द, त्वचारोग आदि भी कालसर्प दोष के लक्षण है।
कालसर्प दोष का कुंडली में समय रहते पता लगाकर उसका उपाय करना चाहिए. कालसर्प के बारे में मान्यता है कि ये दोष व्यक्ति को 42 वर्ष तक परेशान करता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कुंडली के सातों ग्रह पाप ग्रह राहु-केतु के मध्य आ जाएं तो कालसर्प दोष बनता है.
भगवान विष्णु की पूजा करने से भी कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है। इसके लिए संभव हो तो रोजाना स्नान-ध्यान के बाद पीपल के पेड़ में जल का अर्घ्य दें। साथ ही सात बार परिक्रमा करें। काल सर्प दोष पूजन और महामृत्युंजय मंत्र के नियमित जाप से भी कालसर्प दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है। अगर कोई कालसर्प दोष से पीड़ित है तो उसे हर साल सावन में नागपंचमी के दिन रुद्राभिषेक करवाना चाहिए। नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन का दान करना चाहिए। इसके साथ-साथ सावन के माह में रोजाना राहु और केतु के मंत्र का जाप करें। कालसर्प दोष निवारण के लिए नागपंचमी के दिन नागों की पूजा का विधान है।
कालसर्प दोष निवारण मंत्र नाग गायत्री मंत्र: 'ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्। ' इस मंत्र को कालसर्प दोष निवराण के लिए प्रभावी माना जाता है. इसके अलावा आप 'ॐ नमः शिवाय' और 'ॐ नागदेवताय नम:' मंत्र का जाप कर सकते हैं. रुद्राक्ष माला से 108 बार जप करना होता है.
कालसर्प दोष होने पर व्यक्ति शारीरिक और आर्थिक रूप से हमेशा परेशान रहता है. कुछ जातकों को इस दोष की वजह से संतान संबंधी कष्ट भी उठाने पड़ते हैं. मतलब या तो वो संतानहीन रहता है या फिर संतान रोगी होती है. कालसर्प दोष होने पर जातक की नौकरी भी बार-बार छूटती रहती है और उसे कई कर्ज भी लेना पड़ जाता है.
काल सर्प पूजा उज्जैन में करने के लिए, आपको 2100 /– रुपये से लेकर 5100 /- का भुगतान करना होगा। यह पूजा आप उज्जैन और त्रयम्बकेश्वर में करवा सकते हैं.
कुंडली में कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए आप आप हीरा और मोती की अंगूठी या फिर कोई और आभूषण पहन सकते हैं। इससे राहु का प्रभाव दूर होता है। वहीं, केतु का प्रभाव दूर करने के लिए आप लहसुनिया रत्न या तांबा धातु को धारण कर सकते हैं।
उज्जैन को कालसर्प दोष निवारण के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यहां की पवित्र शक्ति और महाकालेश्वर की कृपा से कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है। कालसर्प दोष निवारण के लिए नासिक का त्रयंबकेश्वर मंदिर भी सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को काल सर्प दोष हो तो उनके बने बनाए काम भी बिगड़ जाते हैं. काल सर्प दोष निवारण की पूजा के लिए देशभर के श्रद्धालु यहां-वहां भटकते रहते हैं लेकिन सबसे आसान और सटीक पूजा मध्य प्रदेश के उज्जैन के राजाधिराज भगवान महाकाल के दरबार में होती है. यहां दर्शन करने मात्र से ही काल सर्प दोष का निवारण हो जाता है. इसके अलावा महज 2100/- रुपए में पूजा कर काल सर्प दोष से मुक्ति पाई जा सकती है. यह भी कहा जाता है कि वर्ष भर में एक बार नाग पंचमी पर खुलने वाले नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने से भी कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है.
कालसर्प योग ज्योतिष शास्त्र का एक जटिल विषय है। यह एक ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है जिसमें सभी ग्रह एक वृत्त बनाते हैं और राहु-केतु इस वृत्त के भीतर या बाहर स्थित होते हैं। यह स्थिति व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकती है। कालसर्प योग मुख्यतः 12 प्रकार के होते हैं। ये प्रकार ग्रहों की स्थिति और राहु-केतु के स्थान के आधार पर निर्धारित होते हैं। 1. अनंत कालसर्प दोष राहु लग्न में हो और केतु सप्तम भाव में स्थित हो तथा सभी अन्य ग्रह सप्तम से द्वादश, एकादशी, दशम, नवम, अष्टम और सप्तम में स्थित हो तो यह अनंत कालसर्प योग कहलाता है। अनंत कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष प्रकार का कालसर्प योग है। यह एक ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है जिसमें सभी ग्रह एक वृत्त बनाते हैं और राहु-केतु इस वृत्त के भीतर या बाहर स्थित होते हैं। अनंत कालसर्प योग में एक विशिष्ट व्यवस्था होती है, जिसके कारण इसे अन्य कालसर्प योगों से अलग माना जाता है। यह योग व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को पैदा कर सकता है, जैसे कि विवाह में बाधाएं, करियर में रुकावटें, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आदि। 2. कुलिक कालसर्प दोष राहु द्वितीय भाव में तथा केतु अष्टम भाव में हो और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तो कुलिक नाम कालसर्प योग होगा। कुलिक कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष प्रकार का कालसर्प योग है। यह एक ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है जिसमें सभी ग्रह एक वृत्त बनाते हैं और राहु-केतु इस वृत्त के भीतर या बाहर स्थित होते हैं। कुलिक कालसर्प योग में एक विशिष्ट व्यवस्था होती है, जिसके कारण इसे अन्य कालसर्प योगों से अलग माना जाता है। 3. वासुकी कालसर्प दोष राहु तृतीय भाव में स्थित है तथा केतु नवम भाव में स्थित होकर जिस योग का निर्माण करते हैं तो वह दोष वासुकी कालसर्प दोष कहलाता है। 4. शंखपाल कालसर्प दोष राहु चतुर्थ भाव में तथा केतु दशम भाव में स्थित होकर अन्य ग्रहों के साथ जो निर्माण करते हैं तो वह कालसर्प दोष शंखपाल के नाम से जाना जाता है। 5. पद्य कालसर्प दोष चतुर्थ स्थान पर दिए दोष के ऊपर का है पद्य कालसर्प दोष इसमें राहु पंचम भाव में तथा केतु एकादश भाव में साथ में एकादशी पंचांग 8 भाव में स्थित हो तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग बनता है। 6. महापद्म कालसर्प दोष राहु छठे भाव में और केतु बारहवे भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित हों तो महापद्म कालसर्प योग बनता है। 7. तक्षक कालसर्प दोष जन्मपत्रिका के अनुसार राहु सप्तम भाव में तथा केतु लग्न में स्थित हो तो ऐसा कालसर्प दोष तक्षक कालसर्प दोष के नाम से जाना जाता है। 8. कर्कोटक कालसर्प दोष केतु दूसरे स्थान में और राहु अष्टम स्थान में कर्कोटक नाम कालसर्प योग बनता है। 9. शंखचूड़ कालसर्प दोष सर्प दोष जन्मपत्रिका में केतु तीसरे स्थान में व राहु नवम स्थान में हो तो शंखचूड़ नामक कालसर्प योग बनता है। 10. घातक कालसर्प दोष कुंडली में दशम भाव में स्थित राहु और चतुर्थ भाव में स्थित केतु जब कालसर्प योग का र्निमाण करता है तो ऐसा कालसर्प दोष घातक कालसर्प दोष कहलाता है। 11. विषधर कालसर्प दोष केतु पंचम और राहु ग्यारहवे भाव में हो तो विषधर कालसर्प योग बनाते हैं। 12. शेषनाग कालसर्प दोष कुंडली में राहु द्वादश स्थान में तथा केतु छठे स्थान में हो तथा शेष 7 ग्रह नक्षत्र चतुर्थ तृतीय और प्रथम स्थान में हो तो शेषनाग कालसर्प दोष का निर्माण होता है। शिव करते हैं काल सर्प का शमन भगवान शंकर जिन्होंने जगत के कल्याण के लिए कालकूट विष को अपने गले में धारण कर लिया उनके अतिरिक्त कालसर्प आदि ग्रह दोषों का शमन करने में और कौन समर्थ है। इसलिए जिस किसी को भी इस योग से कष्ट मिल रहा हो वह महाकाल रूद्र की आराधना करे। ऐसा करने से कालसर्प दोष से स्वत: ही मुक्ति मिल जाती है। अतः सावन मास में नागपंचमी पर पूजन कालसर्प दोष शांति का सही समय है, और जो व्यक्ति पूर्व में कालसर्प दोष की शांति कर चुके हैं उन्हें भी इस नाग पंचमी पर कालसर्प दोष की शांति करनी चाहिए। इसके लिए नांग पंचमी पर प्रात: काल किसी प्राचीन शिव मंदिर में जा कर शिवलिंग को दूध से स्नान करायें। नाग और मोर की आकृति को शिवलिंग पर चढ़ाएं और पुष्पहार अर्पित करें। साथ ही एक धतूरा अवश्य चढ़ाएं।