आचार्य पंडित भरत चतुर्वेदी जी का परिवार पीढ़ियों से उज्जैन में रहते हैं । पीढ़ियों से उज्जैन में वैदिक कार्यों से जुड़े हुए हैं, पीढ़ियों से यह परिवार कथा भागवत वैदिक धार्मिक अनुष्ठानों को करते आया है | कालसर्प दोष पूजा के अलावा पंडित जी ने संगीतमय श्रीमद भागवत कथा, नवग्रह शांति, मंगलभात पूजा, मंगलशांति पूजा, रुद्राभिषेक, ग्रह दोष निवारण, पितृ दोष निवारण केमद्रुम दोष , जैसे अनुष्ठानों को सम्पूर्ण वैदिक पद्धति द्वारा संपन्न किया है | इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तसती पाठ भी आवश्यकता के अनुसार करते हैं, आचार्य पंडित भरत चतुर्वेदी जी कुम्भ विवाह, अर्क विवाह, जन्म कुंडली अध्ययन अवं पत्रिका मिलान में भी सिद्धस्त हैं, इन समस्त कार्यों के साथ-साथ पंडित जी पुत्रप्राप्ती के लिए विशेष पूजन किया जाता है तथा वास्तु पूजन, वास्तु दोष निवारण एवं व्यापार, व्यवसाय बाधा निवारण का पूजन भी सम्पूर्ण विधि विधान से करते हैं।
दोष निवारणार्थ अनुष्ठान, मंगल दोष निवारण (भातपूजन), सम्पूर्ण कालसर्प दोष निवारण, नवग्रह शांति, पितृदोष शांति पूजन, वास्तु दोष शांति, द्विविवाह योग शांति, नक्षत्र/योग शांति, रोग निवारण शांति, समस्त विध्न शांति, विवाह संबंधी विघ्न शांति, नवग्रह शांति, कामना पूर्ति अनुष्ठान, भूमि प्राप्ति, धन प्राप्ति, शत्रु विजय प्राप्ति, एश्वर्य प्राप्ति, शुभ (मनचाहा) वर/वधु प्राप्ति, शीघ्र विवाह, सर्व मनोकामना पूर्ति, व्यापार वृध्दि, रक्षा कवच, अन्य सिद्ध अनुष्ठान एवं पूज, पाठ, जाप एवं अन्य अनुष्ठान, दुर्गासप्तशती पाठ, श्री यन्त्र अनुष्ठान, नागवली/नारायण वली, कुम्भ/अर्क विवाह, गृह वास्तु पूजन, गृह प्रवेश पूजन, देव प्राण प्रतिष्ठा, रूद्रपाठ/रूद्राभिषेक, विवाह संस्कार, संगीतमय श्रीमद भागवत कथा
सभी प्रकार के पूजन, दोष निवारण एवं मांगलिक कार्य आपके घर, कार्यालय या अन्य स्थानों पर किये जाते हैं|
स्वयं से तथा परिवार से पूर्व जन्म में या इस जन्म में पितृ नाग तथा देव संबंधित अपराध हो जाने के कारण जन्म पत्रिका में ऐसा योग बनता है जिसे हम कालसर्प दोष कहते हैं
मंगल दोष निवारण भात पूजन द्वारा एक मात्र उज्जैन में ही भात पूजन कर मंगल शांति की जाती है।
यदि सूर्य या चंद्रमा के घर में राहु-केतु में से कोई एक ग्रह मौजूद हो तो यह ग्रहण दोष कहलाता है।
शादी-ब्याह में इसकी प्रमुखता देखि जा रही है पर इस दोष के बहुत सारे परिहार भी है
पितृदोष निवारण पूजा सभी प्रकार के पितृदोषों से मुक्ति मिल जाती है।
ज्योतिष में कई ऐसे योग होते हैं जिनका मनुष्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गुरू चांडाल योग बहुत ही अशुभ माना जाता है
रुद्राभिषेक करके आप शिव से मनचाहा वरदान पा सकते हैं. क्योंकि शिव के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है
नवग्रह नौ ब्रह्मांडीय वस्तुएं हैं और ऐसा कहा जाता है कि इनका मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
आचार्य पंडित भरत चतुर्वेदी जो को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान की जानकारी पंडित जी तथा संस्कृत में एम. ए.( संस्कृत) व संगीतमय श्रीमद भागवत कथा गायन वाचन भी करते हैं के गुरुजनों तथा पिताजी द्वारा प्राप्त हुयी है,
पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं वधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा हो गया है।