Mahapadm Kaal Sarp Dosh Puja

महापद्म कालसर्प दोष पूजा – उज्जैन

कालसर्प दोष के बारह प्रकारो मे से एक महापद्म कालसर्प दोष भी है। इस लेख मे हम यह जानेंगे की महापद्म कालसर्प दोष क्या होता है? इसके लक्षण क्या होते है? इसके उपाय कौन-कौन से है? तथा इसके निवारण के लिए क्या-क्या किया जा सकता है?

कालसर्प दोष क्या होता है?

महापद्म कालसर्प दोष को जानने से पहले हमे यह जानना होगा की कालसर्प दोष क्या होता है? जातक की कुंडली मे काल सर्प दोष का प्रभाव राहु और केतु की स्थिति पर ही निर्भर होता है, व्यक्ति की कुंडली मे राहु और केतु की स्थिति आमने सामने की होती है, और जब बाकी सारे ग्रह अपना स्थान छोड़ कर राहु और केतु के बीच मे आ जाते है, तो ऐसी स्थिति मे जातक पर कालसर्प दोष योग बनता है।

महापद्म कालसर्प दोष क्या होता है?

महापद्म कालसर्प दोष का किसी भी जातक की कुंडली मे होना बहुत ही बुरा माना जाता है, महापद्म कालसर्प दोष मे राहु छटे भाव मे विराजमान होता है, और केतु बारहवे भाव मे विराजमान होता है, तथा अन्य ग्रह जैसे – मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि आदि राहु और केतु के बीच मे मौजूद हों, जब जातक की कुंडली मे यह स्थिति बन जाती है, तब जातक की कुंडली मे महापद्म कालसर्प दोष योग बनता हो जाता है।

महापद्म काल सर्प दोष
महापद्म कालसर्प दोष कुंडली

महापद्म कालसर्प दोष के लक्षण

महापद्म कालसर्प दोष के लक्षण बहुत सारे होते है, जिनमे से कुछ मुख्य लक्षण नीचे दिये गए है।

  • जातक को कई प्रकार की कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • दुर्व्यवहार अनिद्रा का मुख्य कारण है और ज्यादातर यही तलाक का मुख्य कारण भी हो सकता है।
  • जातक को बीमारी के इलाज मे ज्यादा धन खर्च करना पड़ता है।
  • जातक के विरोधियो की संख्या बहुत ज्यादा हो जाती है।
  • निंद्रा से संबन्धित समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
  • किसी भी प्रकार का भारी ऋण जातक के लिए कष्टकारी हो सकता है।
  • इस योग मे जातक को कई आनुवांशिक बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है।

महापद्म कालसर्प दोष के फायदे-

ऐसा नहीं है की महापद्म कालसर्प दोष सदैव नुकसानदायक या अशुभ ही होता है, इस दोष से कुछ फायदे या शुभ फल भी प्राप्त होते है जो निम्न प्रकार है-

  • व्यक्ति बहादुर, साहसी एवं ताकतवर होता है।
  • अपनी मेहनत के बल पर वह सुख सुविधाओ एवं भौतिक वस्तुओ को प्राप्त कर सकता है।
  • व्यक्ति अत्यधिक प्रभावशाली होता है।
  • दूसरे व्यक्ति को किसी भी प्रकार की मुसीबत या समस्या से बाहर निकालने की योग्यता होती है।

कई ऐसे व्यक्ति है जिन्हे यह दोष था, और उन्हे देश के सर्वोच्च पद प्राप्त थे। उदाहरण के लिए भारत देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की जन्मकुंडली मे भी महापद्म काल सर्प दोष था।

महापद्म कालसर्प दोष के उपाय-

अगर किसी जातक की कुंडली मे महापद्म कालसर्प योग होता है, तो उसे नीचे दिये गए उपायो का विधिवत पालन करना चाहिए, जिससे इस दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके।

  • जातक को इस दोष के असर को कम करने के लिए श्रावण मास मे लगातार 30 दिनों तक रोज शिव जी का अभिषेक स्वच्छ दूध एवं जल से करना चाहिए।
  • नियमित रूप से शिवजी की आराधना एवं पूजा अर्चना करनी चाहिए।
  • जातक को इस दोष से पूर्णतः मुक्ति पाने के लिए श्रावण मास मे काल सर्प दोष पूजा भी करानी चाहिए।
  • जातक को सर्प के आकार मे बनी चाँदी की अंगूठी को धारण करना चाहिए।
  • जातक को प्रत्येक मंगलवार हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
  • जातक को महामृत्युंजय मंत्र का जाप एक लाख पच्चीस हजार बार करना चाहिए।

महापद्म कालसर्प दोष के जातक इन चीजों से सावधानिया बरते

महापद्म कालसर्प दोष से ग्रसित जातक को नीचे दी गई चीजों से दूरी बनाए रखना चाहिए।

  • जातक को दिन मे नही सोना चाहिए।
  • जातक को किसी भी कार्य को करते समय आलस नही करना चाहिए।
  • जातक को अपने व्यवसाय मे किसी भी प्रकार की साझेदारी नहीं करना चाहिए।
  • जातक को परिजनो पर जरूरत से ज्यादा भरोसा नही करना चाहिए।

महापद्म कालसर्प दोष का निवारण

जातक को उसकी कुंडली मे महापद्म कालसर्प दोष का पता चलने के बाद समय को बर्बाद नही करना चाहिए, जातक को इस दोष से पूर्णतः मुक्ति के लिए तुरंत ही शिव मंदिर मे जाकर महापद्म कालसर्प दोष पूजा करानी चाहिए, जितनी जल्द जातक यह पूजा करवाएगा उतनी ही जल्दी उसको इस दोष से मुक्ति मिल जाएगी।

महापद्म कालसर्प दोष निवारण पूजा कहाँ होती है?

मध्यप्रदेश मे खास तौर पर कालसर्प दोष निवारण पूजा उज्जैन मे की जाती है, उज्जैन मे इस पूजा को कराने के बाद जातक को महापद्म काल सर्प दोष से जल्द ही छूटकारा मिल जाता है।

महापद्म कालसर्प दोष पूजा कैसे कराये?

अगर आप उज्जैन मे महापद्म कालसर्प दोष निवारण पूजा करवाना चाहते है, तो कांता गुरु जी से संपर्क कर सकते है, और महापद्म कालसर्प दोष और इसके निवारण के बारे मे काफी अच्छे तरीके से जान सकते है।

पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं बाधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा समय हो गया है।

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