महामृत्युंजय पूजन सामग्री लिस्ट

महामृत्युंजय पूजन सामग्री लिस्ट

महामृत्युंजय मंत्र क्या है?

महामृत्युंजय मंत्र का जाप भगवान शिव की स्तुति के लिए किया जाता है, मंत्र का शाब्दिक अर्थ है तीन नेत्र वाले भगवान शिव की पूजा करना।

शिव पुराण ऋग्वेद तथा अन्य ग्रंथो मे महामृत्युंजय मंत्र का वर्णन किया गया है। यह मंत्र भगवान शिव को बहुत ज्यादा प्रिय कहा जाता है की जो भी इस मंत्र का जाप करते है भगवान शिव स्वयं उसकी रक्षा करते है। किसी भी प्रकार की परेशानी एवं रोग को दूर करने के लिए रुद्राक्ष की माला के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। अगर कोई मनुष्य नकारात्मक घटनाओ से डरता है तो उसे महामृत्युंजय जाप पूजा करवानी चाहिए।

महामृत्युंजय मंत्र एवं इसका अर्थ-

महामृत्युंजय मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र के रूप मे भी जाना जाता है, इस मंत्र के जाप से मरते हुए व्यक्ति को भी बचाया जा सकता है। क्यूकि इस मंत्र के जाप से व्यक्ति कि आयु मे वृद्धि होती है।

ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

 उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ ॥ 

इसका अर्थ है कि हम भगवान शिव कि पुजा करते है, जो सम्पूर्ण विश्व का पालन करने वाले है, जो हर साँस मे जीवन का संचार करते है, जिनके तीन नेत्र है। 

महामृत्युंजय मंत्र से होने वाले फायदे

महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे कुछ इस प्रकार है-

  • स्वास्थ के प्रति कोई खतरा नहीं होता है।
  • मनुष्य को लंबी आयु मिलती है। अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
  • असामयिक मृत्यु पर विजय प्राप्त करना।
  • अपने परिवार में प्रियजनों को मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से सुरक्षित रखना।
  • आपके जीवन में खुशी और सुख-समृद्धि मे वृद्धि होती है।
  • आपके शरीर से हर प्रकार की बीमारी को खत्म करके, आपके स्वास्थ्य को फिर से जीवंत और पोषित करता है।

महामृत्युंजय पूजन सामग्री लिस्ट

महामृत्युंजय मंत्र पूजा मे उपयोग होने वाली मुख्य सामग्रिया कुछ इस प्रकार है-

  • पाँच पत्र
  • कलश
  • शिव लिंग
  • कापश फूल की माला
  • गन्ना
  • श्रीफल
  • नरियाल पानी
  • चम्मच
  • कटोरे
  • प्लेटस
  • आसान
  • माला
  • गौमुखी
  • पंच मुखी रुद्राक्ष माला
  • आक का फूल
  • धतूरा फल और फूल
  • बेल फाल
  • साड़ी ब्लाउज
  • भंग
  • बेल पत्र
  • तुलसी की पत्तियाँ
  • धोती गमछा
  • फूल
  • नारियल
  • मीठा
  • फल
  • सुपारी
  • लौंग
  • रोली
  • चावल
  • चंदन
  • हल्दी पाउडर
  • हल्दी की गांठ
  • धूप
  • कपूर
  • घी
  • बत्ती (गोल)
  • बत्ती (लंबी)
  • मैच स्टिक
  • दीपक
  • अगरबत्ती
  • लाल कपड़ा
  • केसर
  • पंच मेवा
  • इलायची
  • दोना
  • मोली
  • खुशबू
  • अबीर
  • गुलाल
  • गेहूँ
  • सफेद कपड़ा
  • गंगा जल
  • शहद
  • चीनी की मिठाई
  • जनेऊ
  • सिंदूर
  • श्रृंगार सामग्री
  • चीनी
  • तेल
  • पीला कपड़ा
  • पीली सरसों
  • अग्नि कुंड
  • सर्वौषधि
  • 7 अनाज
  • सप्तमृत्तिका 
  • हनुमान सिन्दूर
  • अष्टगंध
  • पान का पत्ता
  • आम की पत्तियां
  • पंचामृत

महामृत्युंजय मंत्र पूजा विधि-

  • जाप माला के साथ भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
  • संकल्प करना (एक बर्तन में पानी डालना और भगवान शिव का आशीर्वाद माँगना)।
  • भगवान शिव की 5 वस्तुओं से प्रार्थना करें जो एक दीपक, धूप, जल, बेल के पत्ते और फल हैं
  • शिवलिंग पर फूल चढ़ाएं और दूध और जल से अभिषेक करें।

महामृत्युंजय जाप पूजा के लाभ-

महामृत्युंजय मंत्र के जाप से निम्नानुसार लाभ हो सकते है-

  • वैवाहिक और पारिवारिक जीवन मे खुशियाँ आती है।
  • यह मंत्र आपको और आपके परिवार को चारो ओर से सुरक्षित रखता है।
  • आपके स्वास्थ मे सुधार लाता है।
  • कालसर्प दोष का दुष्प्रभाव कम होता है।
  • आपके जीवन में सभी बुरे प्रभावों को नष्ट कर देता है।
  • यह आपको अधिक महत्वाकांक्षी होने और सफलता पाने में मदद करता है।
  • इस मंत्र को पड़ने से आप अपने जीवन के मे किए गए पापों से मुक्त हो सकते है।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए-

महामृत्युंजय मंत्र का जाप जाप अलग अलग संख्या मे करने पर अलग फल की प्राप्ति होती है-

  1. 1100 बार मंत्र का जाप करने से से भय दूर होता है। 
  2. 11000 बार मंत्र का जाप करने से रोगो से मुक्ति मिलती है। 
  3.  सवा लाख बार मंत्र के जाप से संतान प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही अकाल मृत्यु से भी बचा जा सकता है। 
  4.  रुद्राक्ष की माला से जाप करने से कुंडली के बुरे दोषो को समाप्त किया जा सकता है। 

महामृत्युंजय मंत्र जाप पूजा कैसे कराएं?

अगर आप भी उज्जैन मे महामृत्युंजय मंत्र जाप पूजा करवाना चाहते है, तो कांता गुरु जी से संपर्क कर सकते है। और महामृत्युंजय मंत्र जाप के बारे मे विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है।

पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है, एवं सभी प्रकार के दोष एवं बाधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा समय हो गया है।

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