वास्तु शांति पूजा क्या होता है?
वास्तु शांति पूजा एक अनुष्ठान है जो की अक्सर वास्तु शास्त्र के देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस पूजा के द्वारा घर के वास्तु दोष को दूर किया जाता है। वास्तु शांति पूजा का लक्ष्य उस क्षेत्र को शुद्ध करना होता है जहां अनुष्ठान हो रहा है, साथ ही वास्तु शांति पूजा पूरे अंतरिक्ष में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह पैदा करना है।
वास्तु शांति पूजा का प्रभाव-
यह एक शक्तिशाली पूजन है जो आपके सम्पूर्ण जीवन और परिवेश की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकती है, इसमें कई अनुष्ठान शामिल होते हैं जो नकारात्मक प्रभावों को दूर करने और उन्हें सकारात्मक प्रभावों से बदलने के लिए आयोजित किए जाते हैं।
वास्तु पूजा का मनुष्यों और देवताओं से सीधा संबंध है। प्राचीन वेदों के अनुसार वास्तु शास्त्र एक विज्ञान है जो किसी व्यक्ति को लाभ प्राप्त करने में मदद करता है। यह प्रकृति के सभी पाँच मूल तत्वों आकाश, पृथ्वी, वायु, जल और अग्नि में व्यापक रूप से पाया जाता है। इन मूल पांच तत्वों के अलावा वास्तु पूजा सभी दिशाओं और प्रकृति के अन्य बलों और तत्वों में निवास करने वाले प्रभु को सम्मान देती है।
वास्तु शांति पूजा के फायदे क्या होते है?
वास्तु शांति पूजा के फायदे कुछ इस प्रकार है-
- वास्तु शांति पूजा प्यार और रिश्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने में भी मदद करती है। यह आपके जीवन में शांति, सुख और समृद्धि लाती है।
- वास्तु शांति पूजा कराने के बाद आप घर के अंदर खुशी और शांति को पुन: प्राप्त कर सकते हैं, आप अपने जीवन के अच्छे दिनों का आनंद उठा सकते हैं।
- वास्तु शांति की पूजा घर के प्रत्येक कोने को शुद्ध करती है और प्रत्येक कोने को शुद्ध और सकारात्मक बनाती है।
- वास्तु पूजा आपके परिवार के सदस्यों के बीच हंसते -खेलते रिश्ते और बंधन को बनाए रखने में मदद करती है।
- यह पूजा आपको आपके ग्रहों के बुरे प्रभावों से बचा सकती है, जो कि कुंडली में ग्रहों की खराब स्थिति का परिणाम हो सकता है।
- यह पूजा सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाती है, और बुरी एवं नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है।
वास्तु शांति पूजा सामग्री लिस्ट –
वास्तु शांति पूजा मे उपयोग होने वाली मुख्य सामग्रिया कुछ इस प्रकार है-
- दीपक
- आम के पत्ते
- गंगाजल
- आम की लकड़ी
- रूई
- दूध
- दही
- शक्कर
- शहद
- माचिस
- नींव स्थापन के लिए अतिरिक्त सामग्री
- तांबे का लोटा
- स्वर्ण शलाखा
- हल्दी
- कौडि़यां (5)
- चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा
- अष्टधातु कश्यप
- सुपारी (5)
- पांच नई ईंट
- बताशे
- पंचरत्न
- साबुत सुपारी
- पान के पत्ते
- लौंग
- रोली
- इलायची
- मोली
- जौ
- कपूर
- चावल
- काले तिल
- आटा
- धूप
- पीली सरसों
- हवन सामग्री
- पंचमेवा
- शुद्ध धी
- तांबे का लोटा
- नारियल
- लाल वस्त्र-2
- फूल
- सफेद वस्त्र
- फूलमाला
ऊपर दी गई लिस्ट वास्तु पूजा मे उपयोग होने वाली वस्तुओ की है। अगर आप वास्तु पूजा कराना चाहते हो, उपर दी गई लिस्ट के अनुसार सामग्री ले सकते है।
वास्तुदोष शांति पूजा विधि –
जातक को पूजा वाले दिन जल्दी उठ कर अपने घर की सफाई कर लेनी चाहिए, एवं घर को शुद्ध कर लेना चाहिए, और पूजा की सामग्री को पूजन स्थल पर व्यवस्थित रूप से रख लेना चाहिए।
- वास्तु शांति पूजा मे संकल्प पूजा का पहला चरण होता है, जिसमें पंखुड़ी, चावल, अनाज और फूल धरती माता को अर्पित किए जाते हैं, यह काम परिवार का मुखिया करता है और पुजारी मंत्र पढ़ता है।
- वास्तु शांति पूजा मे भूमि अभिषेक पूजा का दूसरा चरण होता है, जिसमें देवी माँ का आह्वान किया जाता है, और पूजन स्थल को आम के पत्तों से साफ किया जाता है, साथ ही गंगाजल भी छिड़का जाता है।
- वास्तु शांति पूजा के तीसरे चरण में एक बार फिर मंत्रों का जाप किया जाता है, परिवार का मुखिया देवी को चावल, फूल और अनाज चढ़ाते हैं।
- वास्तु शांति पूजा के अंतिम चरण में पूजा समाप्त होने के बाद एक गड्ढा खोदा जाता है और पूजा के लिए उपयोग की जाने वाली सभी पवित्र चीजों को इसमें रखा जाता है और इसे ढंक दिया जाता है ताकि यह पक्षियों द्वारा इधर-उधर न बिखरे।
वास्तु शांति पूजा मंत्र –
नीचे दिये गए मंत्रो का नियमित उच्चारण से वास्तु दोष का दुष्प्रभाव कम होता है-
|| नमस्ते वास्तु पुरुष भूश्य्या भिरत प्रभो |
मद्घृं धन धन्यादि समृद्धं कुरु सर्वदा ||
|| ॐ वास्तोष्पते प्रतरणो न एधि गयस्फानो गोभि रश्वे भिरिदो अजरासस्ते सख्ये स्याम पितेव पुत्रान्प्रतिन्नो जुषस्य शन्नो भव द्विपदे शं चतुष्प्दे स्वाहा ||
|| ॐ वास्तोष्पते ध्रुवास्थूणां सनं सौभ्या नां द्रप्सो भेत्ता पुरां शाश्वती ना मिन्क्षे मुनीनां सखा स्वाहा ||
वास्तुदोष शांति पूजा कैसे कराएं?
अगर आप भी उज्जैन मे वास्तुदोष शांति पूजा करवाना चाहते है, तो कांता गुरु जी से संपर्क कर सकते है। और वास्तुदोष शांति पूजा के बारे मे विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है।
पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है, एवं सभी प्रकार के दोष एवं बाधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा समय हो गया है।
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